अभी अधूरा है
तलाश का सफर
अभी पकड़ रहीं हूँ
पानी में घुल गई
अपनी परछाई
अभी गिन रही हूँ
हवा में मिल गये
सांसों के साल
ढून्ढ रही हूँ
चले हुए कदमों के
[[[[[[[रास्ते
सुनती हूँ
शब्दों में गुम्म
अपने हिस्से के
गीतों के बोल
छोड़ आई हूँ पीछे
कितनी मंजिलों के
मील पत्थर !
अभी मेरा चिन्तन अधूरा
अधूरी नज्में
अधूरी ज़िन्दगी की परिभाषा !
ढून्ढ रही हूँ
अधूरी हस्ती का
गुम्म हुआ आधापन
अभी तो मैं रहूंगी अधूरी
पूर्ण हूँगी फिर कभी !
अभी गिन रही हूँ
ReplyDeleteहवा में मिल गये
सांसों के साल
भावुक कर दिया रचना ने ......!