Friday, November 18, 2011

फिर कभी


अभी अधूरा है

तलाश का सफर


अभी पकड़ रहीं हूँ

पानी में घुल गई

अपनी परछाई


अभी गिन रही हूँ

हवा में मिल गये

सांसों के साल


ढून्ढ रही हूँ

चले हुए कदमों के

[[[[[[[रास्ते


सुनती हूँ

शब्दों में गुम्म

अपने हिस्से के

गीतों के बोल


छोड़ आई हूँ पीछे

कितनी मंजिलों के

मील पत्थर !


अभी मेरा चिन्तन अधूरा

अधूरी नज्में

अधूरी ज़िन्दगी की परिभाषा !


ढून्ढ रही हूँ

अधूरी हस्ती का

गुम्म हुआ आधापन


अभी तो मैं रहूंगी अधूरी

पूर्ण हूँगी फिर कभी !





1 comment:

  1. अभी गिन रही हूँ
    हवा में मिल गये
    सांसों के साल

    भावुक कर दिया रचना ने ......!

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