Monday, January 23, 2012

पागल मुहब्बत

पंजाबी से अनुवाद : सुभाष नीरव

पागल मुहब्बत

मेरी मुहब्बत को ही
यह पागलपन क्यों है
कि तू रहे मेरे संग
जैसे रहते है मेरे साथ
मेरे साँस

तसव्वुर में तू है
इंतज़ार में तू है
नज़र में तू है
अस्तित्व में भी तू !

मेरी मुहब्बत को
यह कैसा पागलपन है
कि मेरे दुपट्टे की छोर में
तू चाबियों के गुच्छे की तरह बंधा रहे !

मेरे पर्स की तनी की भाँति
मेरे कंधे पर लटका रहे !

मैंने ही क्यूँ ऐसे इंतज़ार किया तेरा
जैसे बादवान
हवा की प्रतीक्षा करते है
जैसे बेड़े
मल्लाहों का इंतज़ार करते हैं!

मेरी ही सोच क्यूँ
तेरे दर पर खड़ी हो गई है
मेरी नज़र ही क्यूँ
तेरी तलाश के बाद
पत्थर हो गई है !

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