गुमशुदा
बहुत सरल लगता था
कभी
चुम्बकीय मुस्कराहट से
मौसमों में रंग भर लेना
सहज ही
पलट कर
इठलाती हवा का
हाथ थाम लेना
गुनगुने शब्दों का
जादू बिखेर
उठते तुफानों को
रोक लेना
और बड़ा सरल लगता था
ज़िन्दगी के पास बैठ
छोटी-छोटी बातें करना
कहकहे मार कर हँसना
शिकायतें करना
रूठना और
मान जाना…
बड़ा मुश्किल लगता है
अब
फलसफों के द्वंद में से
ज़िन्दगी के अर्थों को खोजना
पता नहीं क्यों
बड़ा मुश्किल लगता है…
00
बहुत सरल लगता था
कभी
चुम्बकीय मुस्कराहट से
मौसमों में रंग भर लेना
सहज ही
पलट कर
इठलाती हवा का
हाथ थाम लेना
गुनगुने शब्दों का
जादू बिखेर
उठते तुफानों को
रोक लेना
और बड़ा सरल लगता था
ज़िन्दगी के पास बैठ
छोटी-छोटी बातें करना
कहकहे मार कर हँसना
शिकायतें करना
रूठना और
मान जाना…
बड़ा मुश्किल लगता है
अब
फलसफों के द्वंद में से
ज़िन्दगी के अर्थों को खोजना
पता नहीं क्यों
बड़ा मुश्किल लगता है…
00
सचमुच जीवन पहेली बन कर कितना उलझ जाता है, लेकिन इसे सुलझाने का रोमांच भी कम आकर्षक चुनौती नहीं.
ReplyDeleteRahul Singh
आपने ज़िन्दगी की सचाई ब्यान कर दी है.काफी अच्छी कविता है
ReplyDeletean emphatic way
ReplyDeleteto explain the psychology of life..
nice write !
इन फलसफों के बीच ही ये कहकहे कहीं दब कर रह जाते हैं सुरजीत जी .....
ReplyDeleteज़िन्दगी के द्वन्द को पेश करती सशक्त रचना ....!!
सुन्दर शब्दों की बेहतरीन शैली ।
ReplyDeleteभावाव्यक्ति का अनूठा अन्दाज ।
बेहतरीन एवं प्रशंसनीय प्रस्तुति ।
हिन्दी को ऐसे ही सृजन की उम्मीद ।
धन्यवाद....
satguru-satykikhoj.blogspot.com
आप अपने ब्लाग की सेटिंग मे(कमेंट ) शब्द पुष्टिकरण ।
ReplyDeleteword veryfication पर नो no पर
टिक लगाकर सेटिंग को सेव कर दें । टिप्प्णी
देने में झन्झट होता है ।